कहीं मोती कहीं बूंद कहीं सीप है यारो आओ देखा करें खुशनसीब सी जिंदगी। कहीं मोती कहीं बूंद कहीं सीप है यारो आओ देखा करें खुशनसीब सी जिंदगी।
मन में ताप तन में स्वेद मानवता का यह विच्छेद। मन में ताप तन में स्वेद मानवता का यह विच्छेद।
लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है। लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है।
कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता! मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता!
मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।